'अपने ग्राहक को जानिए' नीति का प्राथमिक उद्देश्य धनशोधन गतिविधियों के लिए अपराधी तत्वों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में ही बैंकों का इस्तेमाल किये जाने से रोकना है। 'अपने ग्राहक को जानिए' क्रियाविधि से बैकों को अपने ग्राहकों तथा उनके वित्तीय लेन-देन को जानने तथा समझने का बेहतर अवसर मिलता है जिससे बैकों को अपने जोखिमों का प्रबन्धन विवेकपूर्ण तरीके से करने में मदद मिलती है।
'अपने ग्राहक को जानिए' के दिशा निर्देशों से निम्नांकित उद्देश्यों की पूर्ति होगी
धनशोधन निवारण अधिनियम-2002 (PMLA-2002) की धारा 3 में ''धनशोधन के अपराध'' को निम्नानुसार परिभाषित किया गया है
"Whosoever Directly or Indirectly Attempts to Indulge or Knowingly Assists or Knowingly Is A Party or Is Actually Involved In Any Process or Activity Connected With The Proceeds of Crime And Projecting Is As Untainted Property Shall Be Guilty Of Offence of Money Laundering".
धनशोधन करने वाले आतंकवादी गतिविधियों से प्राप्त काले धन के स्त्रोतों को छिपाने के लिए बैकिंग सिस्टम का उपयोग करते है। धनशोधन ऐसा क्रियाकलाप है जो एक वित्तीय लेन-देन का मकड़ जाला बनाता है ताकि कालेधन के स्त्रोतों तथ वास्तविक स्थिति को छिपाया जा सकें।
धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा 12 के अन्तर्गत बैकों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्तियों को निम्नाकिंत उत्तरदायित्व सौपें गये है
01 जुलाई 2005 से अर्थात भारत सरकार द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अधिसूचित नियमों को लागू किये जाने की तिथि से उक्त सूचनाओं का प्रेषण तथा रिकार्ड का परिरक्षित (Preservation) करना बैकों के लिए आवश्यक हो गया है।
भारत सरकार द्वारा नोटिफिकेशन सं. 13/2009/F No. 6/8/2009-ES दिनांक 12 नवम्बर 2009 के माध्यम से Prevention of Money Laundering (Maintenance of Records of the Nature and value of transactions, the procedure and Manner of Maintaining and time for Furnishing Information and verification and Maintenance of Records of the Identity of the clients of the Banking Companies Financial Institutions and Intermediaries) Rules, 2005. को संशोधित किया गया है।
उक्त नियमों में किये गये संशोधनों के फलस्वरूप राज्य सहकारी बैकों को निम्नांकित कार्यो का भी किया जाना आवश्यक हो गया है
नान प्राफिट आर्गनाइजेशन (एन.पी.ओ.) को धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अन्तर्गत अधिसूचित नियमों के नियम सं. 2(1)(ca) में निम्नानुसार परिभाषित किया गया है ।
"Non profit organisation means any entity or organisation that is registered as a trust or a society under the Societies Registration Act, 1860 (21 of 1860) or any similar State legislation or a company registered under section 25 of the companies Act 1956 (1 of 1956)"
संदिग्ध लेन-देन का अभिप्राय
धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अन्तर्गत अधिसूचित नियमों द्वारा संदिग्ध लेन-देन को नकद या अन्यथा किये गये ऐसे लेन-देन जिसमें प्रयास किये गये लेन-देन शामिल है के रूप में परिभाषित किया गया है जो / जिसमें सदभावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति को
'अपने ग्राहक को जानिए' (के.वाई.सी.) मानदण्डों क��िर्धारित मासिक तथा वार्षिक कुल ट्रांजक्शन तथा बैलेन्स की सीमा को ट्रांसजक्सन को अनुमति देने से पूर्व खण्डित नहीं किया गया है।
सभी नया खाता खोलने वाले खाताधारकों तथा परिचय कर्ता को अंकित किये गये पते पर रजिस्टर्ड डाक द्वारा धन्यवाद पत्र प्रेषित किया जाय। इससे दो उद्देश्यों की पूर्ति होगी। एक तो शाखा में खाता खोलने के लिए धन्यवाद और दूसरे खाताधारक द्वारा दिये गये पते की सत्यता का परीक्षण भी हो जायेगा। इस सम्बन्ध में अहस्तगत लिफाफों के लिए शाखा स्तर पर गहन परीक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए खाता खोलने वाले सम्बन्धित स्टाफ / अधिकारियों द्वारा खाता खोलते समय अधिक जाँच पड़ताल एवं ध्यान दिया जाय।
खाता खोलने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए राशन कार्ड का प्रयोग दस्तावेज के रूप में नहीं किया जाय फिर भी अशिक्षित व्यक्तियों के सम्बन्ध में जो अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने में असमर्थ है, राशन कार्ड का प्रयोग पते के प्रमाण के लिए स्वीकार किया जा सकता है।
जोखिम श्रेणी का पुनर्निरीक्षण समय-समय पर किया जायेगा।
ग्राहक की पहचान की क्रियाविधि निम्नांकित स्तर पर की जायेगी।
शाखा स्तर पर ग्राहक का खाता खोलते समय, ग्राहक प्रोफाइल के आधार पर लेन-देन की सीमा निर्धारित कर दी जाय। प्रारम्भ में व्यक्तिगत खातों के सम्बन्ध में निर्धारित सीमा रू0 50,000.00 तथा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों (व्यावसायिक मध्यवर्ती सम्मिलित) के मामले में एक माह के टर्न ओवर अथवा रू0 10.00 लाख जो भी कम हो की निर्धारित सीमा (Threshold limit) प्रस्तावित की जाय। यह सीमायें वार्षिक आधार पर अथवा ग्राहक के अनुरोध पर समय-समय पर पुर्ननिरीक्षण कर संशोधित कर दी जाय और निर्धारित सीमा से ऊपर किये गये किसी भी लेन-देन को अतिरिक्त सावधानी से देखा जाय।
मौजूदा खातों सहित सभी खातों में जिनमें बहुत पहले ग्राहक प्रोफाइल तैयार की गयी थी लेन-देन की क्रियाविधि की निगरानी शाखा प्रबन्धकों द्वारा की जाय तथा संदिग्ध लेन-देन के निर्धारण में विवेकपूर्ण निर्णय लिया जाय साथ ही जिन खातों में संदिग्ध लेन-देन पाया जाय शाखा स्तर पर उनकी कड़ी निगरानी की जाय ताकि दस्तावेजी सबूत जिनके आधार पर संदिग्ध होना पाया गया है नष्ट न हो जाय।
उपरोक्त कार्यवाही बहुत ही सावधानी तथा विनम्रता पूर्वक की जाय ताकि ग्राहक पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
शाखा द्वारा निक्षेप, ऋण आदि खातों के सभी संदिग्ध लेन-देनों को पूर्ण विवरण के साथ रिकार्ड किया जाय तथा बैंक मुख्यालय को रिपोर्ट किया जाय।
खाता खोलने के पटल अधिकारी / मुख्य प्रबन्धक द्वारा खाता खोलने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि खाते से सम्बन्धित के.वाई.सी. दिशा-निर्देशों का पूर्ण रूप से अनुपालन कर लिया गया है। सम्बन्धित पटल अधिकारी / मुख्य प्रबन्धक द्वारा ग्राहक से साक्षात्कार करने एवं खाते से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने के उपरान्त अपने हस्ताक्षर किये जाये कि वे के.वाई.सी. दिशा निर्देशों के सभी पहलुओ के अनुपालन कर लिए जाने की पूर्ण रूप से संतुष्ट है।
नकद लेन-देन में आर.वी.आई. / नाबार्ड के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा विशेष, कैश क्रेडिट एवं ओवर ड्राफ्ट खातों में रू0 10.00 लाख से अधिक के एकल / एक दूसरें से अभिन्न रूप जुड़े लेन-देन की श्रृंखला पर सतर्क निगाह रखी जाय साथ ही ऐसे लेन-देनों का विवरण एक अलग रजिस्टर में अंकित कर रखा जाय।
शाखाओं के स्तर पर संदिग्ध प्रकार के लेन-देन की रिपोर्ट (एस.टी.आर.) प्रेषित करने हेतु बड़ी सावधानी रखी जाय। प्रथम पटल अधिकारी द्वारा अपने उच्च अधिकारी को संदिग्ध प्रकार के क्रियाकलाप / विवरण से अवगत कराया जाय इसके पश्चात शाखा के मुख्य प्रबन्धक को अवगत कराया जाय। मुख्य प्रबन्धक द्वारा संदिग्ध प्रकार के क्रियाकलाप होने की स्थिति से संतुष्ट होने पर अपनी संस्तुति सहित बैंक के प्रधान अधिकारी को सूचित किया जायेगा।
शाखाओं के स्तर पर एस.टी.आर. प्रेषित करने के उपरान्त खाते के परिचालन में किसी प्रकार की रोक नहीं लगायी जाय और शाखा तथा शाखा के कर्मचारियों द्वारा एस.टी.आर. प्रेषित करने को पूर्ण रूप से गोपनीय रखा जाय जैसा कि धनशोधन निवारण के नियमों के अन्तर्गत आवश्यक है। इस सम्बन्ध में किसी भी स्तर पर ग्राहक को कोई भी जानकारी न दिया जाना सुनिश्चित किया जाय।
धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अन्तर्गत अधिसूचित नियमों के संदर्भ में बैकों का उत्तरदायित्व के अधीन नियम सं0 3 में उल्लिखित लेन-देनों के सम्बन्ध में निम्नांकित जानकारी शाखाओं के स्तर पर परिरक्षित की जाय।
बैंकिग रंगुलेशन एक्ट के अनुसार निर्धारित समय के लिए शाखाओं द्वारा बैंकिग लेन-देन से सम्बन्धित सभी रिकार्ड यथा एकाउन्ट ओपनिंग फार्म, बाउचर्स, लेजर्स आदि सुरक्षित रखे जाय। इसके अतिरिक्त ग्राहक की पहचान के साथ-साथ संदिग्ध प्रकार की गतिविधियों के लिए रिपोर्ट किये गये खाते से सम्बन्धित निम्नांकित दस्तावेज ग्राहक से बैकिंग सम्बन्ध समाप्त होने के बाद कम से कम दस वर्ष तक अवश्य सुरक्षित रखा जाय।
वित्तीय लेन-देन से सम्बन्धित रिकार्डस को लेन-देन की तिथि से कम से कम दस वर्ष तक अवश्य सुरक्षित रखा जाय जिससे विधि प्रवर्तक प्राधिकारियों, आडिट विभाग के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मांग किये जाने पर उपलब्ध कराया जा सके।
शाखाओं / अधिकारियों द्वारा सम्बन्धित कानून तथा नियमों के अन्तर्गत ग्राहक की पहचान तथा लेन-देन से सम्बन्धित रिकार्ड / दस्तावेज तैयार किये जाय तथा सुरक्षित रखें जाये ताकि आवश्यकता पड़ने पर या जब कभी सक्षम प्राधिकारियों द्वारा माँग की जाय तो आसानी से और तुरन्त आकड़े पुन: प्राप्त हो सके।
बैंक कर्मचारियों के लिए के.वाई.सी. दिशा-निर्देशों का महत्व
बैंक के समस्त कर्मचारी विद्यमान नियम तथा कानून के अनुरूप कार्य और व्यवहार करेंगे। स्टाफ तथा प्रबन्धतंत्र किसी भी व्यक्ति को जो धनशोधन क्रियाकलाप में लिप्त है उसे किसी प्रकार की सलाह तथा सहायता नहीं देगें। शाखाओं / मुख्यालय स्तर पर तैनात स्टाफ के कर्तव्य / उत्तरदायित्व एवं जवाबदेही की श्रंखला निम्नाकिंत है तथा के.वाई.सी. दिशा-निर्देशों के अनुरूप कर्तव्य/उत्तरदायित्व का अनुपालन न करने पर जवाबदेही निर्धारित की जायेगी। कर्तव्य से विमुख रहना तथा जानकारी न प्राप्त करना स्टाफ को जवाबदेही की ओर अग्रसर करेगा।
कर्मचारी | कर्तव्य / उत्तरदायित्व |
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खाता खोलने का पटल अधिकारी एवं मुख्य प्रबन्धक |
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प्रधान अधिकारी |
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कान करेन्ट आडिटर | के.वाई.सी दिशा निर्देशों को शाखाओ / लागू करने के स्तर पर जाँच करना तथा प्रभाव के सम्बन्ध में उठाये गये कदम पर अपने विचार व्यक्त करना। |
कन्ट्रोलिंग एथारिटी / मुख्य प्रबन्धक | संदिग्ध लेन-देन के सम्बन्ध में अविलम्ब सम्बन्धित विधि प्रवर्तक प्राधिकारी को प्रधान अधिकारी से सहमति लेकर सूचित करना। |
यह सम्भावाना हो सकती है कि न्यास / नामिती अथवा न्यासी खातों का, ग्राहक पहचान क्रियाविधियों से बचने के लिए उपयोग किया जा सकता है। शाखाओं को यह निश्चित कर लेना चाहिए कि क्या ग्राहक न्यासी / नामिती अथवा किसी अन्य मश्यवर्ती के रूप में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से कार्य कर रहा है यदि ऐसा है तो शाखा को उन ग्राहकों से, जिनकी ओर से वे काम कर रहे है, उन मध्यवर्तियों अथवा व्यक्तियों की पहचान का सन्तोषजनक साक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाय तथा न्यास के स्वरूप तथा अन्य निर्धारित व्यवस्थाओं के ब्यौरे भी प्राप्त किये जाय। किसी न्यास के लिए खाता खोलते समय, शाखाओं को न्यासियों तथा न्यास के अवस्थापकों (जिनमें न्यास में आस्तियां लगाने वाला कोई व्यक्ति शामिल है), अनुदान देने वालों, संरक्षकों, हिताधिकारियों तथा हस्ताक्षरकर्ताओं की पहचान को सत्यापित करने की उचित सावधानी बरती जाय। हिताधिकारियों को जब भी परिभाषित किया गया हो तब उनकी पहचान कर ली जाय। फाउंडेशन के मामले में, संस्थापक प्रबन्धकों / निदेशकों तथा हिताधिकारियों को जब भी परिभाषित किया गया हो तब उनका सत्यापन करने के लिए कदम उठाए जाय।
बैंक शाखाओं में खाते रखने के लिए व्यक्तियों द्वारा बिजनेस कम्पनियों का एक "फ्रंट" के रूप में उपयोग करने के मामले में सतर्क रहना आवश्यक है। शाखाओं केा कम्पनी के नियंत्रक ढांचे की जांच करनी होगी, निधियों के स्त्रोत का पता करना होगा तथा उन नेचुरल व्यक्यिों की पहचान करनी होगी जिनका नियंत्रक हित है और जो प्रबन्धतन्त्र का एक हिस्सा है। इन अपेक्षाओं को जोखिम बोध के अनुसार कम अधिक किया जा सकता है- उदाहरण के लिए सार्वजनिक कम्पनी के मामले में सभी शेयरधारकों को पहचानना आवश्यक नहीं होगा।
जब किसी शाख को यह पता है अथवा ऐसा विश्वास करने का कारण है कि व्यावसायिक मध्यवर्ती द्वारा खोला गया ग्राहक खाता किसी एकल ग्राहक के लिए है तो उस ग्राहक की पहचान कर ली जाय। शाखाओं के पास म्यूचुअल निधियों, पेन्शन निधियों अथवा अन्य प्रकार की निधियों जैसी संस्थाओं की ओर से व्यवसायिक मध्यवर्तियों द्वारा प्रबंधित "समूहित" खाते हो सकते है। बैंकों में विविध प्रकार के ग्राहकों के लिए "ऑन डिपाजिट" अथवा "इन एस्क्रो" धारित निधियों के लिए वकीलों / चार्टर्ड एकाउंटेण्ट्स अथवा स्टाफ ब्रोकरों द्वारा प्रबंधित "समूहित" खाते भी होते है। जहां मध्यवर्तियों द्वारा धारित निधियां शाखाओं में एक साथ मिश्रित नही होती है और शाखा में "उप-खाते" भी है, जिनमें से प्रत्येक किसी एक हितार्थी स्वामी का खाता हो, वहां सभी हितार्थी स्वामियों की पहचान करनी होगी। जहां ऐसी निधियों को शाखा में एक साथ मिश्रित किया गया है, वहां भी शाखा को हितार्थी स्वामियों की पहचान करनी चाहिए। जहां शाखा किसी मध्यवर्ती द्वारा की गयी "ग्राहक सम्बन्धी उचित सतर्कता" पर निर्भर है वहां उन्हें अपने को इस बात से सन्तुष्ट करना होगा कि मध्यवर्ती नियंत्रित तथा पर्यवेक्षित है और उसने अपने यहां "अपने ग्राहक को जानिए" अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर ली है। यह स्पष्ट किया जाता है कि ग्राहक को जानने का अन्तिम दायित्व शाखा का है।
पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन वे है जो विदेश में प्रमुख सार्वजनिक कार्य करते है अथवा ऐसे कार्य उन्हें सौपे गये है। उदाहरण के लिए राज्यों अथवा सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, वरिष्ठ सरकार / न्यायिक / सेना अधिकारी, राजकीय स्वामित्व वाले निगमों के वरिष्ठ कार्यपालक, महत्वपूर्ण राजनीतिक पार्टी कार्यकर्ता इत्यादि। शाखा सम्बन्ध स्थापित करने का उद्देश्य रखने वाले इस श्रेणी के किसी व्यक्ति / ग्राहक के मामले में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करें तथा उस व्यक्ति के सम्बन्ध में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समस्त जानकारी की जांच करें। शाखाओं द्वारा पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन को ग्राहक के रूप में स्वीकार करने से पहले इस व्यक्ति की पहचान को सत्यापित कर लिया जाय और इनके निधियों के स्त्रोत की जानकारी हासिल कर ली जाय। शाखाओं द्वारा ऐसे खातों की निरन्तर आधार पर अधिक मॉनिटरिंग की जाय। इन उपर्युक्त मानदंडो को पालिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन के परिवार के सदस्यों अथवा नजदीकी रिश्तेदारी के खातों के मामलों में भी लागू किया जाये।
ग्राहक पहचान क्रियाविधि
सत्यापित किये जाने वाले पहलू और ग्राहकों से प्राप्त किये जाने वाले दस्तावेज
पहलू | दस्तावेज |
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व्यक्तियों के खाते - विधिक नाम और प्रयोग में लाए गए अन्य नाम |
(1) पासपोर्ट (2) पैन कार्ड (3) मतदाता पहचान पत्र (4) ड्राइविंग लाइसेंस (5) पहचान पत्र (बैंक के सन्तुष्ट होने की शर्त पर) (6) बैंक की सन्तुष्टि के लिए मान्यता प्राप्त सरकारी प्राधिकारी या सरकारी कर्मचारी द्वारा ग्राहक के पहचान तिाा निवास को सत्यापि करता हुआ पत्र (7) नरेगा जॉब कार्ड (8) भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी आधर लेटर। |
सही स्थायी पता |
(1) टेलीफोन बिल (2) बैंक खाता विवरण (3) किसी मान्यता प्राप्त सरकारी प्राधिकारी से पत्र (4) बिजली का बिल (5) राशन कार्ड (6) नियोक्ता से पत्र (बैंक के सन्तुष्ट होने की शर्त पर) (ऐसा कोई भी एक दस्तावेज पर्याप्त है जो बैंक को ग्राहक की जानकारी के सम्बन्ध में सन्तुष्ट करता हो) |
कम्पनियों के खाते - कंपनी का नाम - कारोबार का प्रमुख स्थान - कंपनी का डाक पता - टेलीफोन / फैक्स संख्या |
(1) निगमन और संस्था के बहिर्नियम और अंतर्नियम के संबंध में प्रमाणपत्र (2) खाता खोलने के सम्बन्ध में निदेशक बोर्ड का प्रस्ताव और जिन्हें खाता चलाने का अधिकार है उनकी पहचान (3) उनकी ओर से कारोबार चालने हेतु अपने प्रबंधको, अधिकारियों या कर्मचारियों को प्रदत्त मुख्तारनामा (4) पैन आंवटन पत्र की प्रतिलिपि (5) टेलीफोन बिल |
भागीदारी फर्म के खाते - विधिक नाम - पता - भागीदारी के नाम और पता - फार्म और भागीदारों के टेलीफोन नम्बर |
(1) पंजीकरण प्रमाणपत्र यदि पंजीकृत हो (2) भागीदरी विलेख (3) उनकी ओर से कारोबार चालने हेतु किसी भागीदार या फर्म के कर्मचारी को प्रदत्त मुख्तारनामा (4) भागीदारों और मुख्तारनामा धारित व्यक्तियों और उनके पते की पहचान कराता कोई भी अधिकारिक वैध दस्तावेज (5) फर्म / भागीदारों के नाम टेलीफोन बिल |
न्यासों और संस्थानों के खातें - न्यासियों, सेटलर्स हितार्थी और हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम - संस्थापकों, प्रबन्धकों / निदेशकों और हितार्थी के नाम और पते - टेलीफोन / फैक्स नम्बर |
(1) पंजीकरण प्रमाणपत्र यदि पंजीकृत हो (2) उनकी ओर भी कारोबार चलाने हेतु प्रदत्त मुख्तारनामा (3) न्यासियों, सेटलर्स हितार्थी और मुख्तारनामा धारित व्यक्तियों, संस्थापकों / प्रबन्धकों / निदेशकों और उनके पते की पहचान कराता कोई भी अधिकारिक वैध दस्तावेज (4) फाउन्टेशन / एसोसिएशन के प्रबन्धन निकास का प्रस्ताव (5) टेलीफोन बिल |
सोसाइटी / एसोसियेशन / क्लब्स के खाते | (1) खाता खोलने के सम्बन्ध में प्रस्ताव (Resolution) (2) उप-विधियां (बाइलाज) की कॉपी (3) पंजीकरण प्रमाणपत्र यदि पंजीकृत हो। |
एच0यू0एफ0 के खाते | कर्ता से घोषणा पत्र। सभी वयस्क सदस्यों के हस्ताक्षर सहित। |
'अपने ग्राहक को जानिए' विषयक भारतीय रिजर्व बैंक के परिपत्र सं0 आरपीसीडी. सीआ.आरएफ.एएमएल.बीसी.नं. 83/07.40.00/2009-10 दिनांक 12 मई 2010 द्वारा बैंकों को निर्देशित यिा गया है कि प्रोप्राइटरशिप खातों को खोलने के सम्बन्ध में ग्राहक की पहचान हेतु विद्यमान निम्नांकित दिशा-निर्देश पृथक रूप से लागू होगें
भारतीय रिजर्व बैंक के पत्र दिनांक 18 फरवरी 2005 के प्रस्तर-3 में स्पष्ट उल्लेख है कि ग्राहक की पहचान तथा पते के सम्बन्ध में प्राप्त किये जाने वाले परिशिष्ट II में अंकित दस्तावेजों की सूची केवल सांकेतिक है, अन्तिम नही। ऐसी स्थिति में
धनशोधन निवारण अधिनियम / नियमों के अनुसार दस्तावेज के आधार पर पहचान का प्रमाणीकरण करने से पूर्व, नया खाता खोलने हेतु बैंक के मौजूदा ग्राहक से परिचय प्राप्त करना आवश्यक माना जाता था। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार ग्राहक की पहचान तथा पते के प्रमाणीकरण हेतु दस्तावेज प्राप्त करने के बाद भी बहुत से बैंकों द्वारा अब भी खाता खोलने हेतु परिचयकर्ता का होना अनिवार्य किया जा रहा है। फलस्वरूप सम्बन्धित ग्राहक को खाता खोलने हेतु मौजूदा ग्राहक से परिचय प्राप्त करने मे कठिनाइ्र होती है। चूंकि PML एक्ट तथा रूल्स अथवा भारतीय रिजर्व बैंक के KYC दिशा-निर्देश के अनुसार खाता खोलने हेतु परिचयकर्ता का होना आवश्यक नहीं है। अत: नया खाता खोलने हेतु परिचयकर्ता होने के सम्बन्ध में ग्राहक से अनावश्यक आग्रह न किया जाय।
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार यदि ग्राहक की पहचान हेतु भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी आधार लेटर में अंकित पता तथा ग्राहक द्वारा खाता खोलने के फार्म में अंकित पता एक ही है तो ऐसी स्थिति में आधार लेटर ग्राहक की पहचान तथा पते दोनो हेतु स्वीकार किया जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के पत्रांक आरपीसीडी.सीओ. आरसीबी.एएमएल.बीसी.नं0 62/07.40.00/2010-11 दिनांक 26 अप्रैल 2011 द्वारा निर्देशित किया गया था कि केवल नरेगा जॉब कार्ड के आधार पर खाता खोलने के सम्बन्ध में स्माल एकाउन्ट हेतु लागू प्रतिबन्धात्मक शर्तो जैसा कि रिजर्व बैंक के उक्त पत्र में उल्लिखित है के साथ खाता खोला जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों की कठिनाईयों को देखते हुए रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित किया गया है कि नरेगा जॉब कार्ड को स्माल एकाउन्ट हेतु लागू प्रतिबन्धात्मक शर्तो के बगैर अधिकारिक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाय।
भारतीय रिजर्व बैंक के पत्रांक आरीसीडी.आरएफ.एएमएल.बीसी.नं0 32/07.40.00/2005-06 दिनांक 23 अगस्त 2005 जो कि मुख्यालय के पत्रांक बैकिंग / एफ-6/2005-06/सी-34 दिनांक 28 सितम्बर 2005 के साथ संलग्न कर शाखाओं को प्रेषित किया गया है द्वारा ऐसे ग्राहकों को जो अधिकारिक वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने में असमर्थ है उन्हें खाते में कुल जमा तथा आउट स्टैडिंग बैलेन्स के प्रतिबन्ध के साथ मौजूदा ग्राहक के परिचय के आधार पर स्माल डिपाजिट एकाउन्ट खोलने हेतु निर्देश जारी किये गये है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उक्त पत्र दिनांक 23 अगस्त 2005 में अंकित दिश-निर्देशों को वापस ले लिया गया है। ऐसी स्थिति में अब स्माल डिपाजिट एकाउन्ट निन्मांकित शर्तो एवं प्रतिबन्धों के साथ खोला जा सकता है
प्रतिबन्धात्मक शर्तें
कम जमा खाते (Small Deposit Accounts) का अभिप्राय बचत खाते (सेविंग एकाउन्ट) से है जिसमें
परिचालन सम्बन्धी अन्य शर्ते
'अपने ग्राहक को जानिए' नीति के प्रयोजन हेतु नाबार्ड के पत्रांक NB.DOS/HO./POL/ 1777/P.165/2010-11 दिनांक 10 अगस्त 2010 के अनुसार ''ग्राहक'' की परिभाषा निम्नवत् परिभाषित की गई है ।
'अपने ग्राहक को जानिए' सम्बन्धी नीति में निम्नलिखित चार प्रमुख तत्व शामिल है ।
शाखाओं द्वारा जोखिम की श्रेणी का ध्यान रखते हुए प्रत्येक नये ग्राहक के लिए एक प्रोफाइल तैयार की जाय। ग्राहक की प्रोफाइल में ग्राहक की पहचान, उसकी सामाजिक / आर्थिक हैसियत, उसके कारोबार का स्वरूप, उसके ग्राहकों के कारोबार तथा स्थान से सम्बन्धित सूचना शामिल की जाय। उचित सावधानी का स्वरूप और उसकी सीमा बैंक द्वारा अनुमानित जोखिम पर निर्भर होगी। तथापि ग्राहकों का प्रोफाइल तैयार करते समय शाखाओं द्वारा ग्राहकों से केवल वही सूचना मांगी जाय जो जोखिम की श्रेणी से सम्बन्ध रखती हो तथा वे ऐसी कोई सूचना न मांगे जो अनावश्यक जखलन्दाजी हो। ग्राहक प्रोफाइल एक गोपनीय दस्तावेज होगा तथा उसमें दिये गये विवरण सेवाओं के प्रतिविक्रय या किसी अन्य प्रयोजन हेतु प्रकट नहीं किये जायेगें।
जोखिम वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए उन व्यक्तियों (हाई नेटवर्थ वालों को छोड़कर) और कम्पनियों को, जिनके सम्बन्ध में पहचान तथा सम्पत्ति के स्त्रोतों का आसानी से पता लगाया जा सकता है और जिनके खातों के लेन-देन कुल मिलाकर ज्ञात प्रोफाइल के अनुरूप है, कम जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाय। कम जोखिम वाले ग्राहकों के उदाहरण, वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी जिनके वेतन का ढांचा सुपरिभाषित है, समाज के निम्न आर्थिक स्तर वाले लोग जिनके खातों में छोटी शेष राशियां और कम लेन-देन होता है, सरकारी विभाग एवं सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियां, विनियामक और सांविधिक निकाय आदि हो सकते है। ऐसे मामले में केवल पहचान और ग्राहक के पते का सत्यापन करने की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करना नीतिगत अनिवार्यता हैं। जो ग्राहक बैंक के लिए औसत से उच्चतर जोखिम पैदा करने की सम्भावना रखते है उन्हें मध्यम अथवा उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाय, जो ग्राहक की पृष्ठभूमि, कार्यकलाप का स्वरूप और स्थान, मूलदेश, निधियों के स्त्रोत और ग्राहक के प्रोफाइल आदि पर निर्भर होगा। शाखा जोखिम मूल्यांकन पर आधारित उचित सावधानी बरतने के अधिक उपाय करें, जिसमें यह अपेक्षित होगा कि विशेषकर जिनके निधियों के स्त्रोत स्पष्ट नहीं है ऐसे उच्चतर जोखिम ग्राहकों के लिए गहन ''उचित सावधानी'' लागू की जाये। जिनके लिए उच्चतर उचित सावधानी आवश्यक है ऐसे ग्राहकों के उदाहरण है
यह बात ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि ग्राहक स्वीकरण नीति को अपनाना एवं उसका कार्यान्वयन अत्यधिक प्रतिबन्धात्मक नहीं होना चाहिए और इसका परिणाम सामान्य जनता, विशेषकर वित्तीय और सामाजिक तौर पर प्रतिकूल परिस्थित वाले लोगों को बैकिंग सेवाए नकारने में नहीं होना चाहिए। इस प्रकार के खाते खोलते समय ग्राहक को अवगत करा दिया जाये कि यदि किसी समय उसके सभी प्रकार के खातों में कुल बैलेन्स रू0 50,000.00 से अधिक या एक वित्तीय वर्ष में कुल क्रेडिट की धनराशि रू0 1.00 लाख से अधिक हो जाती है तो जब तक पूर्ण के0वाई0सी0 क्रियाविधि नहीं पूरी होती खातों में लेन-देन की अनुमति नहीं दी जायेगी। ग्राहक को इस सम्बन्ध में सतर्क कर दिया जाय कि जब खाते में बैलेन्स रू0 40,000.00 (रू0 चालीस हजार मात्र) अथवा एक वित्तीय वर्ष में कुल क्रेडिट रू0 80,000.00 (रू0 अस्सी हजार मात्र) हो जायेगा, खाते के परिचालन में रोक से बचने हेतु पूर्ण के0वाई0सी0 के अनुपालन के लिए वैध दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है।
विभिन्न स्तरों पर, अर्थात बैकिंग सम्बन्ध स्थापित करते समय, वित्तीय लेन-देन करते समय अथवा यदि पहले प्राप्त की गई ग्राहक पहचान सम्बन्धी जानकारी की विश्वसनीयता / सत्यता अथवा पर्याप्तता के बारे में शाखा को काई सन्देह हो तो उस समय, ग्राहकों को पहचानने की सुस्पष्ट क्रियाविधि अपनायी जाय। ग्राहक की पहचान से तात्पर्य ग्राहक को अभिनिर्धारित करना और विश्वसनीय, स्वतन्त्र स्त्रोत दस्तावेजों, डेटा या सूचना द्वारा उनका सत्यापन करना। शाखाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रत्येक नये ग्राहक, चाहे वह नियमित हो या कभी कदा आने वाला हो का अभिनिर्धारण अपनी सन्तुष्टि होने तक करने हेतु आवश्यक पर्याप्त जानकारी और उसके बैकिंग सम्बन्ध के अभिप्रेत स्वरूप के प्रयोजन की जानकारी प्राप्त करें। सन्तुष्ट होने का अर्थ यह है कि सम्बन्धित शाखा सक्षम प्राधिकारियों को इस बात से सन्तुष्ट करा सकती है कि मौजूदा दिशा निर्देशों के पालन में ग्राहक के सम्बन्ध में जोखिम के स्वरूप में आधारित उचित सावधानी बरती गई है। इस प्राकर का जोखिम आधारित दृष्टिकोण बैकों के अनावश्यक खर्च से बचने तथा ग्राहकों की दृष्टि से बोझिल व्यवस्था को टालने के लिए आवश्यक है। जोखिम निर्धारण के अलावा, आवश्यक सूचना / दस्तावेजों का स्वरूप भी ग्राहक के प्रकार (वैयक्तिक, कम्पनी आदि) पर निर्भर होगा। जो ग्राहक ''नैचुरल'' व्यक्ति है शाखाओं द्वारा उनसे उनकी पहचान, उनका पता / स्थान सत्यापित करने के लिए पर्याप्त अभिनिर्धारण डेटा तथा उनका हाल ही का फोटोग्राफ भी प्राप्त करें। संयुक्त खाता धारक जो एक दूसरे से अभिन्न रूप से सम्बन्धित नहीं है उनके द्वारा अलग-अलग अपनी पहचान तथा पते हेतु दस्तावेज प्रस्तुत किय जाय। जो ग्राहक विधिक व्यक्ति अथवा संस्थाएं है, उनके लिए शाखा
''अपने ग्राहक को जानिए'' सम्बन्धी कारगर क्रियाविधियों का अनिवार्य तत्व है निरन्तर निगरानी। शाखाए केवल तभी प्रभावी ढंग से अपनी जोखिम का नियंत्रण कर सकती है और उसे कम कर सकती है जब उनमें ग्राहक की सामान्य और समुचित गतिविधि की समझ हो ताकि इससे गतितिधि के नियमित पैटर्न से बाहर के लेनदेनों का पता लगाने के साधन उनके पास उपलब्ध हो जाएं तथापित निगरानी किस सीमा तक होगी वह उस खाते के जोखिम की संवेदनशीलता पर निर्भर होगा। शाखायें वे सभी जटिल, असमान्य रूप से बड़े लेनदेनों और सभी ऐसी असामान्य बातें, जिनका कोई सुस्पष्ट आर्थिक अथवा दृष्य वैध प्रयोजन न हो, की ओर विशेष ध्यान दें। बड़ी नकद राशि वाले लेनदेन, जो संबधित ग्राहक की सामान्य और अपेक्षित गतिविधि के अनुरूप नहीं है, की ओर शाखा द्वारा विशेष रूप से ध्यान दिया जाय। रखी गयी शेष राशि के आकार के अनुरूप न होने वाले बहुत बड़े लेनदेन यह दर्शाते है कि उस खाते से बड़ी-बड़ी निधियां निकाली जा रही है। उच्च जोखिम वाले खातों पर सख्त निगरानी रखी जाय। प्रत्येक शाखा को ग्राहक की पृष्ठिभूमि जैसे मूल का देश, निधियों के स्त्रोत, निहित लेनदेनों के प्रकार और जोखिम के अन्य पहलुओं को ध्यान में रखतें हुए ऐसे खातों के लिए महत्वपूर्ण संकेतक निश्चित कर दिये जाय। शाखाओं द्वारा खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की एक प्रणाली आरम्भ की जाय और इस सम्बन्ध में उचित सावधानी के और अधिक उपाय भी लागू करें।शाखायें यह सुनिश्चित करें कि खातों के लेनदेनों का अभिलेख सुरक्षित रखा जाता है और धनशोधन निवारण (पी एम एल) अधिनियम 2002 की धारा 12 के अनुसरण में यथा अपेक्षित स्थिति बनाए रखी जाती है। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि संदेहास्पद स्परूप के लेनदेनों यथा डिपाजिट, लोन खातों आदि में और / अथवा धनशोधन निवारण (पी एम एल) अधिनिमय 2002 की धारा 12 के अन्तर्गत अधिसूचित किया भी अन्य प्रकार के लेनदेन से सम्बन्धित रिपोर्ट उचित विधि प्रवर्तक प्राधिकारी को दी जाती है।
शाखायें सुनिश्चित करें कि 10 लाख रूपये से अधिक राशि के समस्त नकद लेनदेनों (जमा तथा आहरण) का उचित रिकार्ड बनाए रखना जारी रखती है। ऐसे लेनदेनों तथा संदेहास्पद स्वरूप के लेनदेनों (यथा डिपाजिट, कैश-क्रेडिट या ओवर ड्राफ्ट खातों) को प्रधान कार्यालय को समयान्तर्गत रिपोर्ट किया जाय।
नकद लेन-देन (डिमाण्ड ड्राफ्ट, तार/डाक अन्तरण, पे-आर्डर आदि जारी करना)
धनशोधन निवारण अधिनियम-2002 (PMLA-2002) के अन्तर्गत अधिसूचित नियमों के नियम सं0 9(1) के अनुसार ग्राहक का खाता खोलते समय अथवा बगैर खाता धारक द्वारा रूपया पचास हजार या उससे अधिक का एकल ट्रांजक्शन अथवा कई ट्रांजक्शन किये जाय तो ग्राहक की पहचान अधिकारिक वैध दस्तावेज के आधार पर की जाय।
अत: उपरोक्त को ध्यान में रखकर शाखाओं के स्तर पर डिमाण्ड ड्राफ्ट, तार / डाक अन्तरण, पे-आर्डर आदि जारी करते समय निम्नानुसार कार्यवाही की जाय
'अपने ग्राहक को जानिए' नीतियों तथा क्रियाविधियों के मूल्यांकन तथा उनके अनुपालन को सुनिश्चित करने में बैंक की आन्तरिक लेखा-परीक्षा तथा अनुपालन सम्बन्धी गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है सामान्य नियमानुसार, अनुपालन कार्य में बैंक की अपनी नीतियों तथा क्रियाविधियों का, जिनमें विधिक तथा विनियामक अपेक्षाएं शामिल है, स्वतन्त्र मूल्यांकन निहित होना चाहिए। बैंक / शाखाओं द्वारा सुनिश्चित किया जाय कि लेखा परीक्षा व्यवस्था में ऐसे व्यक्ति कार्यरत है जो ऐसी नीतियों तथा क्रियाविधियों से भली-भॉति परिचित है। समवर्ती / आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा विशेष रूप से शाखाओं में 'अपने ग्राहक को जानिए' क्रियाविधियों की जांच की जाय तथा उन्हें लागू किये जाने को सत्यापित किया जाये तथा इस सम्बन्ध में पायी गयी कमियों पर टिप्पणी दी जाये।
'अपने ग्राहक को जानिए' - मानदण्डों / धनशोशन निवारण / आंतकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध की क्रियाविधि के सम्बन्ध में सभी स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाय ताकि स्टाफ को धनशोधन निवारण / आंतकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के दिशा-निर्देशों के अनुपालन और 'अपने ग्राहक को जानिए' नीतियों के अनुरूप कार्यान्वयन में पदानुक्रमिक स्तर पर उनकी भूमिका तथा जिम्मेदारियों का पर्याप्त प्रशिक्षण मिल सके। आयोजित किये गये प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्बन्धी रिकार्डस का भी रखरखाव किया जाय। इन रिकार्डस में प्रशिक्षणार्थी के नाम एवं अन्य सम्बन्धित विवरण, दिनांक तथा प्रशिक्षण दिये जाने का स्थान आदि की सूचना / विवरण को सम्मिलित किया जाय।
'अपने ग्राहक को जानिए' क्रियाविधि के कार्यान्वयन के सन्दर्भ में बैंको के लिए ग्राहकों से कुछ ऐसी जानकारी मॉंगना आवश्यक होता है जो वैयक्तिक स्वरूप की हो अथवा जिसकी इसके पहले कभी माँग न की गयी हो। इससे कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि ग्राहक ऐसी जानकारी माँगने के उद्देशय तथा प्रयोजन के बारे में बहुत सारे प्रश्न पूछें। फ्रंट डेस्क स्टाफ को ग्राहकों के साथ बातचीत करते समय ऐसी परिस्थितियों को संभालने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाय।
शाखाओं द्वारा नी अथवा विकासशील प्रौद्योगिकियों जिनमें इण्टरनेट बैंकिग शामिल है, जिसके कारण धन के स्त्रोत का पता नहीं चलता, इनसे उभरने वाले धनशोधन से सम्बन्धित जोखिमों की ओर विशेष ध्यान दिया जाय और यदि आवश्यक हो तो धनशोधन योजनाओं में उनके उपयोग को रोकने के उपाय किये जाय।
बैंक / शाखाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रानिक कार्ड जारी किये जा सकते है। ग्राहक इन कार्डो का माल तथा सेवायें खरीदनें, एटीएम में से नकद आहरित करने के लिए प्रयोग करते है, साथ ही निधियों के इलेक्ट्रानिक अन्तरण के लिए भी इनका प्रयोग हो सकता है। सामान्यत: एजेन्टों की सेवाओं के माध्यम से इन कार्डो को काम में लाया जाता है। शाखाओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहकों को कार्ड जारी करने से पूर्व 'अपने ग्राहक को जानिए' क्रियाविधियों को उचित रूप से लागू किया जाता है। यह भी वांछनीय है कि एजेन्ट पर भी 'अपने ग्राहक को जानिए' उपाय लागू किये जाते है।
शाखाओं को यह सूचति किया गया था कि वे 'अपने ग्राहक को जानिए' मानदंडों को अपने समस्त मौजूदा ग्राहकों पर समयवद्ध तरीके से लागू करें। जहाँ संशोधित दिशा निर्देश सभी नये ग्राहकों पर लागू होगें, वहाँ शाखा अपने मौजूदा ग्राहकों पर ये दिया निर्देश खाते के आकार तथा जोखिम के आधार पर लागू करें। तथापि मौजूदा खातों में होने वाले लेनदेन पर निरन्तर नजर रखी जाय तथा खाते के परिचालन में कोई असामान्य बात नजर आने पर ग्राहक सम्बन्धी उचित सावधानी बरतने के उपायों की समीक्षा प्रारम्भ की जाय। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कम्पनियां, फर्मो, न्यासों, धर्मादायों, धार्मिक संगठनों तथा अन्य संस्थाओं के सभी मौजूदा खातों पर न्यूनतम 'अपने ग्राहक को जानिए' मानक लागू किए जाए जिनसे नेचुरल / विधिक व्यक्ति तथा 'हितार्थी स्वामियों' की पहचान की जा सके। शाखा यह भी सुनिश्चित करें कि मीयादी / आवर्ती जमा खातों अथवा उसी स्वरूप के खातों को उनके नवीकरण के समय नये खाते माना जाता है तथा उन पर संशोधित 'अपने ग्राहक को जानिए' क्रियाविधि लागू की जाती है। जहाँ ग्राहक द्वारा जानकारी प्रस्तुत न करने तथा / अथवा ग्राहक के असहायोग के कारण शाखा को 'अपने ग्राहक को जानिए' उपाय लागू करना सम्भव नहीं है, वहां शाखा अपने ग्राहक को ऐसा निर्णय लेने के कारण स्पष्ट करने वाली एक सूचना जारी करने के बाद, खाता बन्द करने अथवा उस ग्राहक से बैकिंग / व्यवसायिक सम्बन्ध समाप्त करने पर विचार कर सकती है। ऐसे निर्णय उचित वरिष्ठ स्तर पर लेना आवश्यक है।
सन्दर्भित नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मुख्यालय स्तर पर वरिष्ठ अधिकारी को प्रधान अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जायेगा। प्रधान अधिकारी पर सभी लेन-देनों की निगरानी तथा रिपोर्टिग तथा कानून के अन्तर्गत अपेक्षित जानकारी के अदान-प्रदान का दायित्व होगा। इस अधिकारी को प्रवर्तन एजेंसियों, बैकों तथा किसी अन्य संस्था, जो कि धनशोधन तथा आंतकवाद के वित्तपोषण के विरूद्ध संघर्ष में शामिल है, के साथ निरन्तर सम्पर्क बनाए रखना होगा।
कम आय वाले व्यक्यिों को बैकिंग सेवायें सुलभ कराने के लिए उनके खाते खोलते समय के.वाई.सी. क्रियाविधि को सरलीकृत करके लागू किया जाय। शाखा ऐसे व्यक्तियों का खाता प्रतिबन्धात्मक शर्तो के साथ निम्नलिखित कार्यवाही करके एवं शर्तों के मान्य होने की दशा में खोल सकती है :-
कोई व्यक्ति जो कम जमा खाता खोलना चाहता है स्वप्रमाणित फोटोग्राफ प्रस्तुत करने पर तथा खाता खोलने के फार्म पर हस्ताक्षर या अंगूठा निशानी लगा कर खाता खोल सकता है।
प्रतिबन्धात्मक शर्तें
कम जमा खाते का अभिप्राय बचत खाते (सेविंग एकाउन्ट) से है जिसमें :-
परिचालन सम्बन्धी अन्य शर्तें